Under the Ministry of Education, Government of India

Showing posts with label Rabindra Nath Tagore. Show all posts
Showing posts with label Rabindra Nath Tagore. Show all posts

Rabindra Nath Tagore 162nd Birth Anniversary

 

रविन्द्रनाथ टैगोर

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म बगाल के एक समृद्ध परिवार में हुआ । बचपन में शिक्षा के लिए उन्हें किसी स्कूल में नहीं भेजा गया ।

कोलकाता में घर पर ही उनकी शिक्षा का प्रबन्ध किया गया । एक विद्वान् शिक्षक उन्हे पढ़ाने आते थे । वे पढ़ाई में अधिक रुचि नहीं रखते थे । हार कर उन्हें स्कूल में भी भरती कराया गया, लेकिन वहाँ भी वे मन लगाकर नहीं  पढ़े ।

वे किताबें पढ़ना बिल्कुल पसन्द नहीं करते थे । लेकिन ड्रामा, संगीत, कविता तथा कलाओ में उनकी गहरी रुचि थी । सोलह वर्ष की आयु से ही वे कविताये और कहानियां लिखने लगे थे । उनकी रचनायें बडी रुचि से पढी जाती थीं ।

आगे की पढ़ाई के लिए उनके पिता ने उन्हें इंग्लैण्ड भेज दिया । लदन में वे यूनिवर्सिटी कॉलेज में भरती हो गए । वही वे कुछ समय तक पढ़े, लेकिन बिना किसी परीक्षा को पास किए ही भारत लौट आए । उन्होंने कोई डिग्री परीक्षा कभी पास नहीं की ।

 


अब तक वे प्रसिद्ध कवि हो गए थे । उन्होंने अनेक ड्रामा, उपन्यास, कहानियाँ और कवितायें लिखीं । धीरे-धीरे बंगाल के महानतम कवियों में उनकी गिनती होने लगी । उनका महानतम और सबसे प्रसिद्ध काव्य गीतांजलिहै । उन्होंने मूल रूप में गीतांजलि की रचना बंगाली भाषा में की और बाद में रचय ही उसका अंग्रेजी मे अनुवाद किया । उनकी कविताओं का देश और विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ । इनकी बदौलत वे समूचे ससार में प्रसिद्ध हो गए ।

रवीन्द्रनाथ टैगोर को साहित्य के नोबल पुरस्वगर से सम्मानित किया गया । वे पहले भारतीय थे, जिन्हें नोबल पुरस्कार मिला । इस पुरस्कार ने उनकी ख्याति में चार-चाँद लगा दिए । कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लेटर्सकी उपाधि प्रदान करके सम्मानित किया । तत्कालीन भारत सरकार ने उन्हें सरकी उपाधि से विभूषित किया ।

अब उन्होंने यूरोप, अमरीका, चीन और जापान का भ्रमण किया । वे जहाँ भी जाते, उनका भव्य स्वागत होता था । लोग उनके ज्ञान की भूरि-भूरि प्रशंसा करते थे । उनकी असाधारण साहित्यिक प्रतिभा तथा प्रभावशाली भाषणों का बड़ा सम्मान किया जाता था ।

1901 ई॰ में बोलपुर नामक एक छोटे-से गाँव में उन्होंने एक स्कूल की स्थापना की । उन्होंने इसे शांतिनिकेतननाम दिया । यह स्कूल विश्वभर में प्रसिद्ध हो गया । इसकी कोई विशाल इमारत नहीं है । यह स्कूल खुले मैदान में लगता है । विद्यार्थी प्रकृति की गोद में विद्या प्राप्त करते हैं ।

संसार के सभी भागों से लोग यहां शिक्षा प्राप्त करने आते है । उन्हे इस स्कूल में पढ़ना, लिखना, कला, संगीत, नाच और गाना सिखाया जाता है । हमारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने भी कुछ समय यही शिक्षा पाई थी ।

बिना छत का यह स्कूल संसार में अनूठा है । जब तक यह संस्था जीवित है, तब तक इस महान् कवि, लेखक और दार्शनिक का नाम अमर रहेगा ।

रवीन्द्रनाथ टैगोर बड़े प्रतिभावान थे । वे एक सच्चे महात्मा थे और वैसे ही वे दिखाई भी देते थे । वे लम्बे-लम्बे बाल रखते थे और उनकी लम्बी दाढी थी । उनके बहुत-से शिष्य थे, जो उन्हें बडी श्रद्धा से गुरुदेव कहते थे ।

वे महान् कवि और समाज-सुधारक थे । उन्होंने भारत का गौरव बढाया । भारत को ऐसे विद्वान् पर सदा गर्व रहेगा । हम इतने महान् विद्वान्, कवि, लेखक और दार्शनिक को कभी न भुला पायेंगे ।